लोहड़ी | Lohri in Hindi



लोहड़ी उत्तर भारत का मसहूर पर्व है और यह पर्व मकर संक्रान्ति से 1 दिन पहले यानि कि 13 जनवरी को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। सायं के समय में सूरज ढलने के बाद सभी परिवार वाले और आस-पास के लोग खुले स्थान में इक्कठे होकर आपस में मिलते है। इस पर्व पर आग के किनारे घेरा बनाकर बैठते हैं, गाना गाते हैं, आग के चारों ओर नाचते हैं, नाचते समय आग में कुछ रेवड़ी, टॉफी, तिल के बीज, पॉपकॉर्न, गुड अन्य चीजें आग में डालते हैं। इस पर्व पर गुड व तिल की रेवड़ीमूंगफली आदि खाने का अधिक महत्व होता हैं और एक दूसरे को आपस में मिठाई बांटकर लोहड़ी के पर्व का आनन्द लेते है। यह पर्व खास तैर पर पंजाबी संप्रदाय के लोगों का है। 

यह पर्व भारत के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है। जैसे- असम में मेघ बिहू, आंध्र प्रदेश में भोगी, पंजाब में लोहड़ी, बिहार, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में मकर संक्रांति, तमिलनाडु में पोंगल आदि। शाम को एक पूजा समारोह रखा जाता है, जिसमें सभी पुरुष एवं महिलाएं अग्नि की पूजा करते हैं और आग के चारों और परिक्रमा लगाते हैं। भविष्य की सुख-शांति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, सभी के घर पकवान बनते हैं तथा स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेते हैं। लोहोड़ी का पर्व पर सभी बच्चे, पुरुष और महिलाएं नये वस्त्र पहनते हैं। यह पर्व भारत एवं विदेशों में रहने वाले सभी पंजाबियों के द्वारा हर साल मनाया जाता है। यह पर्व नववर्ष की निशानी और वसंत के मौसम के प्रारम्भ होने के साथ ही सर्दी के मौसम के अंत का प्रतीक है। वर्ष की सबसे लम्बी रात लोहड़ी की रात होती है, तब से दिन बड़े होते जाते है और रात धीरे-धीरे छोटी होना प्रारम्भ कर देती हैं।  

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